एक मंच पर कई स्वर
शिवकेश
नई दिल्ली, 14 January, 2019
छह शहरों में शीर्ष कलावंतों का जमावड़ा, विचारमंथन और प्रदर्शन
कलाएं भी अपने समय-स्थान की त्रासदियों को नोटिस में लेती हैं पर थोड़ा अलग अंदाज में. किसान आत्महत्या के लिए कुख्यात मराठवाड़ा के औरंगाबाद में दो दशक पूर्व कथक और ओडिसी नृत्य का केंद्र खोलने पर शास्त्रीय नृत्यांगना पार्वती दत्ता इसे नजरअंदाज नहीं कर सकीं. आसपास के गांवों के सौ से ज्यादा युवाओं को शास्त्रीय विधाओं की ओर खींचकर उन्हें तनाव/अवसाद से निबटना सिखाया. अनंतनाग के रंगकर्मी भवानी बशीर यासिर सरकारी महकमों से सहयोग न मिलने के बावजूद अशांत कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में पचासेक युवाओं को लेकर अपने बूते ड्रामा स्कूल चलाने लगे.
नृत्यांगना प्रीति पटेल की चिंता कहीं ज्यादा गहरी थीः ‘‘मणिपुर में हम गहरे संकट से गुजर रहे हैं. मणिपुरी नृत्य के लिए युवा मिलने कम हो गए हैं. वे आतंकवादी बनने के लिए हथियार उठा रहे हैं क्योंकि कला में उन्हें रोजगार की संभावना नहीं दिखती.ʼʼ
केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी ने एक मंच पर एक साथ नाटक, संगीत, नृत्य और दूसरी विधाओं के विशेषज्ञों को एक साथ बैठने-बतियाने के लिए बुलाया तो ऐसे कई पहलू उभरे. गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में 2018 का समापन थोड़ा अलग ढंग से हो रहा था. मशहूर चित्रकार बी.सी. सान्याल की बेटी, चर्चित कास्ट्यूम डिजाइनर अंबा सान्याल बात जल्दी पूरी करने को कहे जाने पर थोड़ा भावुक हो उठीं, ‘‘पहली बार अपने विषय पर बोलने का मौका मिला है, मैं (समेटने की) कोशिश कर रही हूं.ʼʼ हिंदुस्तान में अकादमी के दावे के हिसाब से, इस तरह का यह पहला सरकारी आयोजन हैः श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम. हर विधा के श्रेष्ठों का जमावड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्तूबर-2015 में सरदार पटेल की जयंती पर ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारतʼʼ का जुमला दिया था. उसका भी घोषित मकसद ‘‘अनेकता में एकता का जश्न मनानाʼʼ और संस्कृतियों-कलाओं में कई तलों पर आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना था. लोनावाला के अपने फार्महाउस पर पकाने के लिए चने का साग तोड़ते अकादमी के अध्यक्ष, गायक-अभिनेता शेखर सेन स्पष्ट करते हैं, ‘‘हमने इसे उस दृष्टि से नहीं देखा.

नई दिल्ली, 14 January, 2019
छह शहरों में शीर्ष कलावंतों का जमावड़ा, विचारमंथन और प्रदर्शन
कलाएं भी अपने समय-स्थान की त्रासदियों को नोटिस में लेती हैं पर थोड़ा अलग अंदाज में. किसान आत्महत्या के लिए कुख्यात मराठवाड़ा के औरंगाबाद में दो दशक पूर्व कथक और ओडिसी नृत्य का केंद्र खोलने पर शास्त्रीय नृत्यांगना पार्वती दत्ता इसे नजरअंदाज नहीं कर सकीं. आसपास के गांवों के सौ से ज्यादा युवाओं को शास्त्रीय विधाओं की ओर खींचकर उन्हें तनाव/अवसाद से निबटना सिखाया. अनंतनाग के रंगकर्मी भवानी बशीर यासिर सरकारी महकमों से सहयोग न मिलने के बावजूद अशांत कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में पचासेक युवाओं को लेकर अपने बूते ड्रामा स्कूल चलाने लगे.
नृत्यांगना प्रीति पटेल की चिंता कहीं ज्यादा गहरी थीः ‘‘मणिपुर में हम गहरे संकट से गुजर रहे हैं. मणिपुरी नृत्य के लिए युवा मिलने कम हो गए हैं. वे आतंकवादी बनने के लिए हथियार उठा रहे हैं क्योंकि कला में उन्हें रोजगार की संभावना नहीं दिखती.ʼʼ
केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी ने एक मंच पर एक साथ नाटक, संगीत, नृत्य और दूसरी विधाओं के विशेषज्ञों को एक साथ बैठने-बतियाने के लिए बुलाया तो ऐसे कई पहलू उभरे. गुवाहाटी के श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में 2018 का समापन थोड़ा अलग ढंग से हो रहा था. मशहूर चित्रकार बी.सी. सान्याल की बेटी, चर्चित कास्ट्यूम डिजाइनर अंबा सान्याल बात जल्दी पूरी करने को कहे जाने पर थोड़ा भावुक हो उठीं, ‘‘पहली बार अपने विषय पर बोलने का मौका मिला है, मैं (समेटने की) कोशिश कर रही हूं.ʼʼ हिंदुस्तान में अकादमी के दावे के हिसाब से, इस तरह का यह पहला सरकारी आयोजन हैः श्रेष्ठ भारत संस्कृति समागम. हर विधा के श्रेष्ठों का जमावड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्तूबर-2015 में सरदार पटेल की जयंती पर ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारतʼʼ का जुमला दिया था. उसका भी घोषित मकसद ‘‘अनेकता में एकता का जश्न मनानाʼʼ और संस्कृतियों-कलाओं में कई तलों पर आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना था. लोनावाला के अपने फार्महाउस पर पकाने के लिए चने का साग तोड़ते अकादमी के अध्यक्ष, गायक-अभिनेता शेखर सेन स्पष्ट करते हैं, ‘‘हमने इसे उस दृष्टि से नहीं देखा.
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